लखनऊ, 26 नवम्बर. वामपंथी बुद्धिजीवी, ‘दायित्वबोध’ पत्रिका के सम्पादक विश्वनाथ मिश्र का अचानक दिल के दौरे से आजलखनऊ में निधन हो गया। विगत दो सप्ताह से मस्तिष्काघात की चिकित्सा के लिए वे स्थानीय विवेकानन्द पालीक्लीनिक में भरती थे और एक ऑपरेशन के बाद उनकी स्थिति में कुछ सुधार भी था।
विश्वनाथ मिश्र का निधन हिन्दी वैश्
विक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। करीब 16 वर्षों तक उन्होंने प्रसिद्ध वामपंथी वैचारिक पत्रिका ‘दायित्वबोध’ का सम्पादन किया। दर्शन और अर्थशास्त्र विषयक सैकड़ों लेखों का अनुवाद किया और विविध विषयों पर प्रचुर लेखन किया। पेशे से वे कृषि विज्ञानी (गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध नेशनल पी.जी. कालेज में प्राध्यापक) थे और अभी कुछ ही दिनों पहले अवकाश प्राप्त किया था। विश्वनाथ जी के ज्ञान का दायरा प्राचीन भारतीय दर्शन, धर्मशास्त्र, संस्कृत महाकाव्य और इतिहास और भाषाशास्त्र से लेकर शेक्सपियर, बर्नार्ड शा, रसेल, डिकेन्स आदि की कृतियों तक विस्तारित था। माक्र्सवादी दर्शन का उनका अध्ययन गहन था। साथ ही वे क्वाण्टम भौतिकी और सापेक्षिकता सिद्धान्त के भी अधिकारी विद्वान थे। कृषि विज्ञान की लोकप्रिय पाठ्य-पुस्तकें भी उन्होंने लिखी थीं।
विश्वनाथ मिश्र देवरिया के एक निम्न मध्यवित्त परिवार में पैदा हुए थे। कानपुर स्थित चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की थी। जीवनपर्यन्त वे एक छोटे से कस्बे में अध्यापन करते रहे और सामाजिक आन्दोलनों में भी सक्रिय रहे। आज ऐसी प्रतिभाएं महानगरों के विश्वविद्यालयों और संस्कृति-केन्द्रों में भी देखने को नहीं मिलतीं। संगोष्ठियों में विश्वनाथ मिश्र की ज्ञान की गहराई और तर्क कुशाग्रता का लोहा देश के ख्यातिलब्ध विद्वानों को भी मानना पड़ता था। विश्वनाथ मिश्र यश और पद की चूहा दौड़ में शामिल हुए बिना जीवन पर्यन्त ज्ञान-साधना करते रहे और जनता के प्रति उनका सरोकार बना रहा।
1994 में ‘राहुल फाउण्डेशन’ की स्थापना में भी उनकी अग्रणी भूमिका थी। ‘दायित्वबोध’ के अतिरिक्त मजदूरों के अखबार ‘बिगुल’ और छात्र-युवा पत्रिका ‘आह्वान’ में भी वे नियमित लिखते रहते थे। लखनऊ, दिल्ली, गोरखपुर, लुधियाना और चण्डीगढ़ में राहुल फाउण्डेशन, अरविन्द ट्रस्ट, आह्वान और बिगुल से जुड़े बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बैठकें करके विश्वनाथ मिश्र को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की।
साइंटिस्ट्स फॉर सोसाइटी